मिलन
दिल्ली की तीखी छोरी, वो अम्रीकन मीठा छोरा;
भरी दुनिया के दो अजनबी
मिलें न उसके , न इसके यहाँ।
इन्टरनेट ने बांदा पुल , हुआ विचारों का फेर बदल;
चिट्टी नही तो ई-मेल से ही
खुल गया दोस्ती का चैनल।
लड़के-लड़की की दोस्ती थी, बदलना ही था प्यार में कल;
मिल गए दिल, पर इनको भी था मिलना
छोरी बोली- परदेस में हैं मेरी बहना !
मिलकर ही समझा दोनों को, साथ साथ हैं इनको रहना;
कुछ इसको , कुछ उसको था बदलना
प्रेम रंग में आख़िर दोनों को था रंगना।
एक दूजे के मंजिल हैं ये, फिर भी राहें ठानी अपनी अपनी;
बांटें खुशिया हर कही , ज़िन्दगी इनको देख मुस्कुरायी।
बांदा न दुल्हे ने सेहरा, न दुल्हन ने मांग सजाई;
बंद गए हैं फिर भी आज, कह के एक दूजे का बस हो साथ।
रहे सदियों तक सलामत इनका प्यार;
बस कहनी थी एक और बात....
भूल न जाना, रहा गोरे का मुझ पर प्यार उधार !!!!
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This poem is for the lovely Su & D. May yours be a blessed union.
Pic taken by:me
Comments
That picture of both of them is lovelyy!!! gives the poem a classy touch!!!
Mujhe bhi hindi mein blog karna haiii!!!
And yeah. Good poem by you. Hope you find your gora too :)
Good one and lovely picture..